हर जीव के अन्दर भरा है अन्धकार,प्रकाश की जरुरत

परमात्मा के नाम का जाप स्थितप्रज्ञ महापुरुष के स्वरूप का चिंतन करने से धीरे-धीरे अंधकार मिट जाता है
 प्रयागराज परमहंस आश्रम श्रृंगवेरपुर धाम मे रविवार को
परम पूज्य स्वामी श्री अड़गड़ानंद जी महाराज जी ने भक्तों को सत्संग सुनाते हुए बताएं एक पद है आलम है उदासी का हसरत सी बरसती है जिस दिन से गए हो तुम यह आंखें तरसती हैं इसकी आध्यात्मिक व्याख्या प्रस्तुत की।
भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों के द्वारा बताया की जब भगवान मथुरा से दूर चले गए तो समस्त मथुरा वासी उनके विरह में डूब गए और भगवान से प्रार्थना करने लगे जिस दिन से आप गए हैं आपके दर्शन के लिए आंखें तरसती रहती हैं
हर जीव के अंदर अंधकार से भरा हुआ है और प्रकाश की जरूरत है और वह प्रकाश है ज्योति स्वरूप परमात्मा
और उस परमात्मा को पाने के लिए भी रह के साथ साधना में डूबकर लगना पड़ता है उसमें छिपा हुआ परमात्मा उसके हृदय में प्रकट हो जाता है भजन साधना में लगा हुआ है
सजीव की उदासी हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाती है  उसके लिए एक परमात्मा के नाम का जाप स्थितप्रज्ञ महापुरुष के स्वरूप का चिंतन करने से धीरे-धीरे अंतःकरण का अंधकार मिट जाता है और वह परमात्मा हृदय में जागृत हो जाता है सत्संग के अंत में पूज्य स्वामी जी ने बताया मानव मात्र का धर्मशास्त्र यथार्थ गीता है यथार्थ गीता पृथ्वी इस धरा धाम के हर प्राणी के पास होना चाहिए क्योंकि यह मानव मात्र का धर्म शास्त्र है धर्म शास्त्र विहीन मानव का कोई अस्तित्व नहीं होता इसलिए सभी को चाहिए की यथार्थ गीता  अवश्य पढ़ें इस अवसर पर अकेला नंद महराज, श्री संतोष महाराज, भावानंद महाराज, आशीष महराज, लाले महराज, शोभम महराज, जयश्री महराज, बृज बिहारी महाराज, कौशल महराज, कुवर महाराज,म सहित अन्य संत मौजूद रहे