प्रयागराज परमहंस आश्रम श्रृंगवेरपुर में मंगलवार को परम
पूज्य स्वामी श्री अड़गड़ानंद जी महाराज के मुखारविंद से आज की अमृतवाणी।
टूटे ना तार भजन कर निशदिन अध्यात्म व्याख्या प्रस्तुत की
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि हर प्राणी को दिन रात अनवरत नाम जप में संलग्न रहना चाहिए इसका तार कभी टूटे ना,
सांस सांस पर राम कहो वृथा श्वास जनि खोए
ना जाने यह श्वास का आवन होए ना होए
यह श्वास जो व्यर्थ चली जा रही है यह बिना नाम के जाने ना पाए, ज्यों ज्यों नाम जपते जाएंगे
तभी आवागमन के बंधन से छुटकारा पा सकते हैं उसके लिए एक परमात्मा के नाम का जप ओम अथवा राम का जाप करना चाहिए और तत्वदर्शी सतगुरु का शरण सानिध्य अपनाना चाहिए सत्संग के अंत में पूज्य स्वामी जी ने बताएं की भगवत पथ की संपूर्ण साधन पद्धति समझने के लिए यथार्थ गीता का अनुसरण करना चाहिए, प्रत्येक प्राणी को यथार्थ गीता की तीन चार आवृत्ति अवश्य करनी चाहिए, उन्होंने कहा कि क्या गांऊ क्या सुनाऊं क्या बजाओ ढोल एक एक स्वासा जात है तीन लोग का मोल उन्होंने बताया कि महापुरुषों ने कहा है कि गाना बजाना और समाज को सुनाना इससे कुछ नहीं होता है किसी के पास हमारी जो चली जा रही है बिना नाम के जाप कीए प्रत्येक स्वास जो हम ले रहे हैं यह तीनों लोकों में भटकाने वाला है अगर हम हर सांस पर परमात्मा का नाम नहीं ले रहे हैं तो तीनो लोको से अनमोल स्वास है हर स्वास पर नाम का जाप होना चाहिए,तभी कल्याण होगा इस अवसर पर अकेला आनंद जी महाराज, संतोष जी महाराज भावानंद जी महाराज, लाले महराज, शुभम महराज, आशीष महाराज, कुंवर महाराज ,जयप्रकाश महाराज जयश्री महराज, ज्ञानी महाराज सहित अन्य संत मौजूद रहे।
हर प्राणी को अनवर नाम जप में संलग्न रहना चाहिए, तभी उद्धार संभव है