रावण राज्य समाप्त होने पर आता है रामराज्य

प्रत्येक जीव के हृदय में घटित होता है रामराज्य, स्वामी श्री अड़गड़ानंद जी महाराज
प्रयागराज परमहंस आश्रम  श्रृंगवेरपुर  मे शनिवार को परम पूज्य स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने भक्तों के बीच में राम राज्य के बारे में विस्तार पूर्वक अपने उपदेश दिये।
राम राज्य में दैहिक दैविक भौतिक तीनों ताप समाप्त हो जाता है सभी मनुष्य अपने स्वधर्म के अनुसार कर्म में प्रवृत्त रहते हैं किसी भी प्रकार का पाप नहीं रहता सभी मनुष्य भगवान की भक्ति में अनुरक्त रहते हैं और सभी परम गति के अधिकारी होते हैं अल्प मृत्यु किसी की नहीं होती है और किसी प्रकार का कोई क्लेश नहीं होता कोई दरिद्र नहीं होता कोई भिखारी नहीं होता कोई मूर्ख नहीं होता सब गुणी होते हैं पंडित होते हैं चाहे वह किसी भी वर्ण का हो सब लोग उदार होते हैं परोपकारी होते हैं और विप्र के चरणों के सेवक होते हैं विप्र माने महापुरुष होते हैं तत्वदर्शी सतगुरु को कहते हैं
वास्तव में यह अवस्था एक संत की अवस्था होती है रामराज्य अर्थात मनुष्य के हृदय से जब संपूर्ण विकारों का शमन हो जाता है अर्थात रावण का राज्य समाप्त हो जाता है तभी पूर्णरूपेण राम का राज्य होता है तभी ईश्वर की प्राप्ति होती है
यह अवस्था प्रत्येक जीव के हृदय में घटित होती है रामराज्य योगी के हृदय में होता है भजन चिंतन करने से भजन की पराकाष्ठा में पहुंचने के बाद रामराज्य की स्थिति आती है इस अवसर पर अकेला महाराज, बृज बिहारी महाराज, तुलसी महाराज, संतोष महाराज, आशीष महराज, चिंतनमयानंद महाराज, भवानंद महाराज, लाले महराज, शोभम महाराज, जयश्री महाराज, राजाराम महाराज सहित अन्य संत मौजूद रहे।जेडी सिंह