प्रयागराज माघ मेले में यथार्थ गीता कैम्प में सत्संग के दौरान पूज्य लाले महाराज जी ने भक्तों के बीच कहां कि पुण्य की पूंजी जब एकत्रित होती है तभी कल्याण स्वरूप सन्तो का दर्शन होता है और सन्तो के मार्गदर्शन से ही ईश्वरपथ की जानकारी मनुष्य को प्राप्त होता है इसीलिए साधुनाम दर्शनम पुण्यम तीर्थभूतादि साधवः l भूतकाल के साधु ही वर्तमान के तीर्थ होते हैं जो भी संसार मे तीर्थ है चाहे प्रयाग हो काशी हो मथुरा हो अयोध्या हो चित्रकूट हो उनके मूल में कोई न कोई सन्त ही हैं भरद्वाज मुनि इस जगह पर भजन तपस्या किये तब जा के विश्व विख्यात तीर्थ प्रयाग राज हुआ।आज सन्तो का दर्शन सबको शुलभ हो रहा है। तीर्थ में जाने से पुण्य अर्जित होता है और सन्त मिल जाते हैं तो वो साधना बताते है एक ईश्वर के नाम का जाप बताते हैं ॐ या राम का जप और ज्यों ज्यों कोई जाप करने लगता है तो महापुरु षों की कृपा मिलने लगती है और जीव का कल्याण हो जाता है सत्संग मंच पर श्री भावानन्द महाराज, श्री बच्चा महाराज, श्री तुलसी महाराज इत्यादि सन्त बिराजमान थे और अपना आशीर्वचन प्रदान कर रहे थे।
सत्संग के अंत मे श्री लाले महाराज जी बताये की मनुष्य मात्र का धर्मशास्त्र यथार्थ गीता है सबके पास होनी आश्रम की सभी साहित्य माघ मेले में उपलब्ध भी है भारी छूट पर वितरित की जा रही है।
इस अवसर पर श्री शिवानन्द महाराज, श्री सूरदास महाराज भी विराजमान थे।
भूतकाल के साधु ही वर्तमान तीर्थ,पुण्य एकत्रित होने पर मिलता है संत दर्शन, लाले बाबा