"मानवता" शब्द का सरल शब्दों में मतलब है, मानव की एकता , इंसानियत यानि मानवता , हर मानव, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, जाती-पाती का हो, कोई भी देश- शहर का हो, उसका एक मात्र मकसद होना चाहिए : मानव-एकता I देश- विदेशो में सारे संसार में मानव-परिवारों में कई प्रकार की समानताये और असमानताए होती है , हर मानव की शक्ल-सूरत, रंग-रूप, शारीरिक बनावट , रहन-सहन , सोच-विचार, बोली- भाषा आदि में समानताये भी होती है ओर उनमे असमानताए भी होती है , लेकिन प्रभु ने हम सब को पांच तत्वों से ही बनाया है,छित जल पावक गगन समीरा,पंच रचित यह अधम शरीरा, एक ही माटी है एक जैसे ही पांच तत्व है , इसमें कोई अंतर नही, जब यह सच्ची बात हमारे मन में स्थापित हो जाती है फिर सभी भेद मिट जाते है I हम इंसानियत की राह पर अग्रसर हो जाते हैं, भाई-चारा स्थापित हो जाता है।
मानव धर्म ने इंसान को इंसान से प्यार सिखाया है , मजहब नही सिखाता आपस में वैर रखना " , हम सब एक धरती पर बसने वाले है, इस धरती पर जन्म लेकर हम सब साथ-साथ जी रहे है,
मानवता से बड़ा कोई भी जीवन में धर्म नही होता है , मगर इंसान मानवता के धर्म को छोड़कर मानव के बनाये हुए धर्मो पर चल पड़ता है , क्योंकि यह सब उसके अज्ञानता के परिणाम होते है कि इंसान इंसानियत को छोड़कर मानव-धर्मो में जकड़े जाते है , धर्मो की आड़ में अपने मनो के अन्दर वैर , निंदा, नफरत, अविश्वास, जाती-पाति के भेद के कारण अभिमान को प्रथामिकता देते है , इसके कारण ही मानव मूल मकसद को भूल जाता है, मानव जीवन में मानव से प्यार करना भूल गया है, अपने मकसद को भूल गया है, अपने जन्मदात्ता को भूल गया है इससे मानव के मनो में हमेशा दानवता वाले गुण विद्यमान होते जा रहे है , आज हम मानवता को एक तरफ रखकर अपनी मनमर्जी अनुसार धर्म को कुछ और ही रूप दे रहे है , जिस कारण इंसान और इंसानियत में दूरियां बढ़ रही हैं , कहीं जाति-पाति को मानकर कहीं परमात्मा के नामो को बांटकर तो कभी किसी और कारण से लोगों के दिलो में नफरत बढती जा रही है , इंसानियत खत्म होती जा रही है , जहाँ पर इंसानियत खत्म होती है वहां पर धर्म भी खत्म हो जाता है , इंसान, इंसानियत को भूल गया है।
" वसुुधैव कुटुम्बकम" की भावना आम मानव जीवन में साकार हो, यही सच्ची मानवता है, मानवता तभी कायम रहेगी जब हम सब मिलकर मानवता को अपने दिलों में मनों में बसायेंगे , हम प्यार से रहें, दूसरो को खुशिया बाँटें, आबाद करें, ऊच-नीच , जाति-पाति, वैर, निंदा , नफरत की भावना को त्यागकर सारे संसार की सेवा करें, मानवता की वास्तविक बात तो प्रेम, दया , करुणा, सहनशीलता , ओर विशालता है , महापुरुषों - संतजनों ने हमेशा इंसानियत को यह ही स्थापित करने का उपदेश दिया है , मानवता को ही सच्चा धर्म माना है I मानवता को खत्म करके कभी भी धर्म कायम नही रह सकता है , मानवता को खत्म करके कभी भी धर्म को नही बचाया जा सकता है I वर्तमान समय जो चल रहा है वह जटिल है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी मानवता के आधार पर ही प्रदेश के हर व्यक्ति के जान को बचााने के लिये कड़ी मेहनत कर रहे है साथ ही जरुरत मंदों को किसी भी प्रकार की दिक्कत न आये इसका पूरा ख्याल शासन,प्रशासन कर रहा है।अभी