अब भारत देश को कोरोना महामारी से भगवान ही बचा सकता है इन्सान के वश की बात नहीं

जौनपुर।  वैश्विक महामारी कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है।एक तरफ जहां भारत सरकार लाकडाउन के जरिये वायरस संक्रमण रोकने का प्रयास कर रही है।वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे राजनैतिक दल है जो सरकार के मंसूबे पर पानी फेर रहे है।संकट का समय है परेशानी  हर किसी के लिए है।ऐसे में  सबको मिलकर कोरोना महामारी को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।प्रवासी मजदूर को लेकर राजनीति गरम है। जबकि सरकार स्पेशल ट्रेन चलाकर श्रमिकों को सुरक्षित स्वास्थ्य परीक्षण करके घरों तक पहुंचाने का काम कर रही है।इसके बावजूद ट्रकों,टेम्पो,आटो रिक्शा, साईकिल,व पैदल मजदूर अपने, अपने घरों को पहुंच रहे। सरकार के अपील को भी नजर अन्दाज किया जा रहा है।जबकि सरकार कह रही हैं पैदल न चले।कोरोना महामारी सिर्फ मजदूरों की समस्या नहीं है इससे पूरे देश के आम नागरिक परेशान है।मजदूरों की सरकार को चिंता है।इधर बीच उत्तर प्रदेश में मुबंई से आने वाले प्रवासीओ की संख्या बढ़ी है।जिससे कोरोना पाजटिव केस के मामला कुछ ज्यादा बढ़ा है।हालांकि यूपी सरकार की तटस्थता बनी है।स्वास्थ्य विभाग बहुत मजबूती से काम कर रहा है। उपचार में कोई भी कोताही नहीं बरती जा रही है।जो ट्रेन से प्रवासी आ रहे है वह सुरक्षित है लेकिन जो ट्क या अन्य वाहनों में भूसे की तरह भर करके गावों में पहुंचे है और पहुंच रहे है वे अपने जान से खिलवाड़ तो कर ही रहे है साथ ही घर परिवार गांव को भी कोरोना महामारी के चपेट में ले रहे है।वर्तमान समय में गांव के लोग दहशत में है।सबको डर सता रहा, कहीं कोरोना संक्रमण के चपेट में न आ जाय। खास बात है कि बाहर से आने वाले कुछ ऐसे भी प्रवासी है जो किसी की बात मानने को तैयार नहीं है। आते ही गांव में  घूम रहे है। घरों में रह रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिग का पालन नहीं कर रहे है।क्वारंटीन भी नहीं हो रहे है।अपनी मर्जी चला रहे है।यदि कोई सरकार के आदेशों को पालन की बात कर रहा है तो नाराजगी जता रहे है।भला,बुरा तक कह रहे है।कैसे कोरोना महामारी से भारत जीतेगा। जब हम नियमित, संयमित नहीं होगे तो महामारी तो बढेगी ही। इसके लिए जिम्मेदार कौन है हम या सरकार।राजनीति में विरोध होता है लेकिन संकट के समय में वोट की राजनीति करना बेहद निन्दनीय है।महाराष्ट्र, गुजरात,राजस्थान,दिल्ली, पंजाब, हरियाणा,कोलकाता,मध्यप्रदेश से यदि प्रवासी उत्तर प्रदेश के जिलों में आ रहे है वह भी ट्रकों में भर,भर के तो क्या वहां के सरकार की जिम्मेदारी नहीं है जहां से प्रवासी मजदूर चल रहे है।लोकदल के राष्ट्रीय सचिव घनश्याम दूबे से प्रवासीओ के यूपी और बिहार आने के मुद्दे पर बातचीत हुई तो उन्होंने कहां कि लाकडाउन की अवधि बढ़ने से मजदूर घबरा गये हैं। रोटी की भी समस्या है। काम बंद है खाने को लाले है।जहां से चलने को प्रवासी बेबस हुआ वहां की सरकारे उतना फिक्रमंद नहीं है।लाचारी में यूपी, बिहार के मजदूर पैदल, ट्रकों से अपने गांव आने को मजबूर हुए।मजदूरों पर हो रही राजनीति के सवाल पर उन्होंने कहां कि संकट का समय है राजनीति का नहीं।मजदूर सुरक्षित स्वास्थ्य परीक्षण के साथ अपने, अपने घरों को पहुंचे इसकी हर दल को चिंता होनी चाहिए।बोले कि मजदूरों की इतनी ही चिंता राजनीतिज्ञों को थी तो क्यों न पहले से ही बसों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण और सोशल डिस्टेंसिग का पालन करवाते हुए मजदूरों को उनके गांव, शहर पहुंचा दिये होते तो आज मजदूर पैदल चलने को मजबूर न होता। अब भारत देश को कोराना महामारी से भगवान ही बचा सकता है, इन्सान के बश की बात नहीं।जेडी सिंह         ,