जौनपुर। पशुओं की सेवा करना पुनीत कार्य है।मनुष्य जीवन की उन्नति में पशु योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। गाय और भैस के दूध,दही,घी के उपयोग से इन्सान का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।बेशक पशु और मनुष्य एक दूसरे के पूरक है।आज के चालीस वर्ष पहले गावों में पशुपालन पर जोर था। अमूमन घरों में संख्या में गाय होती थी।बैल होता था।भैस का पालन होता था। कुछ लोग भेड़, बकरी का पालन करते थे। पशु पालन कृषि के लिए भी लाभकारी था। पहले हर घर का अपना घूर गड्डा होता था।जिसमें पशुओं के गोबर से जैविक खाद तैयार कर खेतों में डाला जाता है।आज भी पशु पालन है घुर गड्ढा भी है।लेकिन पशुओं की संख्या कम है और घुर गड्डे में गोबर से बनने वाला जैविक खाद तैयार नहीं हो पा रहा है। जिन बैलों ने धरती चीरकर अन्न उपजाया मनुष्य वंश परम्परा को आगे बढ़ाया आज उनकी माँ गो माता का अस्तित्व खतरे में है।धरती पर कुछ ऐसे भी स्वार्थी लोग हैं जो सिर्फ फायदे के लिए जी रहे है।गाय का दूध पी लिया। जब गाय दूध देना बंद किया तो उसे बेमुरव्वत खूटा से छोड़कर हांक दिये।बछडो को भी छुट्टा छोड़ दिया गया था। छुट्टा पशुओं की वजह से किसानों का फसल बर्बाद हो रहा था। उत्तर प्रदेश सरकार ने अस्थाई गो आश्रय स्थल बनाकर गाय और बछड़ो को एक सुनिश्चित स्थान पर रखने का काम किया है।जिससे किसानों को राहत मिला।पशु चिकित्सालय कटघर रामनगर के डा.अखिलेश कुमार ने बताया कि बनेवरा 272,दीपापुर 65,गोपालपुर 87,सिरौली 60,कुम्भापुर 49,दमोदरा 130,आदि अस्थाई गो आश्रय स्थल सरकार द्वारा संचालित हो रहा है।जिसमें संख्यावार गायों, बछडो का भरण,पोषण हो रहा है। सरकार प्रत्येक गोवंश के भरण-पोषण के लिए तीस रुपया प्रतिदिन खर्च कर रही है। बताया कि 2011,12, के जनगणना के अनुसार रामनगर छेत्र पंचायत अन्तर्गत 38हजार पशु है।कहां कि कोरोना महामारी और लाकडाउन की वजह से पशुओं में होने वाली बीमारी खुरपका,और मुहपका का टीका पशुओं को नहीं लग सका,गलाघोटू बीमारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहां कि गन्दा पानी पीने और दूषित चारा खाने से पशुओं में यह बीमारी उतपन्न होती है।कहां कि गलाघोटू रोग से निजात के लिए सरकार द्वारा दो हजार वैक्सीन आया है।जल्द ही पशुओं को वैक्सीन लगाया जायेगा।
मनुष्य जीवन की उन्नति में पशु योगदान को भुलाया नहीं जा सकता,गोवंश के बैल ने धरती चीरकर अन्न उपजाया,स्वार्थ था तो नजदीकी था आज दूरी हो गयी